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कविता

पतझड़ का इतिहास

ए. अरविंदाक्षन


स्मृतियों की चाबी से
इतिहास को आसानी से खोला जा सकता है।
पर उसी चाबी से
पतझड़ के इतिहास को खोला नहीं जा सकता।
इतिहास, देखने में आया है
एक हो सकता है
कभी-कभी एक से ज्यादा
पर खोलना आसान है।
पतझड़ का
एक बृहदाकार इतिहास है
सूखे-सिकुड़े पत्तों का अपार संसार।
यह कह पाना नामुमकिन है
पतझड़ में
कितने पत्ते गिरे होंगे
हर एक को
गिरते समय
कितना दर्द हुआ होगा
उसके गिरते समय
अटके हुए पत्तों का,
हरे या पीले पत्तों का
दर्द कितना गहरा होगा
गिरे हुए का खून
कब सूख गया होगा
कितना पत्ते में ही सूख गया होगा
और कितना मिट्टी में।
पतझड़ के इतिहास को जानना है
तो चाहिए
विभिन्न ऋतुओं से संवाद करें
वे बता सकते हैं
पतझड़ का इतिहास
शायद वसंत ही बता पाएगा
पतझड़ कितना दुखद है
पतझड़ कितना दारुण है।

 


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